सब इतिहास हो जाएगा - कविता - डॉ॰ विजय पंडित

एक दिन अचानक
सब इतिहास हो जाएगा
नदियाँ हवाएँ बादल घटाएँ
पथरीली राहें मखमली फ़िज़ाएँ
कहानियाँ क़िस्से और कविताएँ
लिखे अल्फ़ाज़ 
अधूरे अहसास 
सब इतिहास हो जाएगा 
एक दिन अचानक।

मेले, महफ़िलें जश्न
अभावों में दम तोड़ता प्यार
कहीं धन दौलत बेशुमार
प्यार सौदा व्यापार 
दोस्ती छल कपट मौकापरस्ती
सतयुग कलयुग त्रेता द्वापर 
कृष्ण सुदामा चना चबेना 
सब इतिहास हो जाएगा
अचानक एक दिन।

किताबी बातें आदर्श वाक्य 
राजनीतिक कूटनीति 
शिखर उत्थान पतन 
तारीफ़ निंदा भरोसा 
कलाकाट प्रतिस्पर्धा 
सहारा सफलता हार जीत
प्रेम प्रीत
पीठ पीछे वार 
ज़मीर, अभिनय, अपना पराया 
सब इतिहास हो जाएगा
एक दिन अचानक।

रूठना मनाना 
इल्जा़म तोहमतें बेवजह आरोप
हर दिन बात बात पर सफ़ाई
गवाह बेगुनाही सज़ा
बेबसी बेचैनी बयान
आँसू दम तोड़ते सबूत 
मान अपमान 
जुदाई मिलन रूसवाई
सब इतिहास हो जाएँगे
एक दिन अचानक।

श्वेत वस्त्र सोलह शृंगार 
सूना आंचल आहें किल्कारियाँ
सिसकियाँ खनखनाती कलाईयाँ
आशीष अपशब्दों में पिसती
ज़िंदगी ज़िम्मेदारीयाँ
क़िस्मत कुदरत कानून 
अन्याय न्याय 
टूटते सपने
साथ छोड़ते अपने 
सब इतिहास हो जाएगा
एक दिन अचानक।

धुँधली होती तश्वीरें
यादें वायदें इरादे
उम्मीद आग़ाज़ परवाज़ 
नदियों के किनारे
हरेभरे दरख्त, छाँव 
परिंदों का कलरव
मंदिर, घंटियाँ शंख की आवाज़
लोक परलोक भजन जीवन दर्शन 
सच तो यही है
सब इतिहास हो जाएगा 
एक दिन अचानक।

डॉ॰ विजय पंडित - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos