डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली
लफ़्ज़ों के फूलें - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
गुरुवार, सितंबर 08, 2022
लफ़्ज़ों के फूलें मनभावन,
आनंद सकल सुख देता है।
नव प्रभात अरुणिम मुस्कानें,
मधुरिम मिठास दे जाता है।
लफ़्ज़ों का रस अनमोल सुखद,
संतोष मनुज दे जाता है।
आभास मधुर अपनापन सुख,
रिश्तों को नयापन देता है।
सदाचार जड़ित संस्कार सृजित,
कुल देश कीर्ति बतलाता है।
लफ़्ज़ मधुर स्नेहाधिक्य ललित,
आशीष श्रेष्ठ पा जाता है।
मृदुभाष सदय क्षमाशील हृदय,
सहयोग भाव उद्गाता है।
अगाध अनंत है लफ़्ज़ मधुर,
दुश्मन को मीत बनाता है।
मन घाव मिटे वाणी मिठास,
दिल को सुकून दे जाता है।
दुर्दांत वक्त या सुखमय पल,
अनुबन्ध नवल बन जाता है।
करिश्मा लफ़्ज़ों का आकर्षक,
विश्वास अपर दिल छाता है।
कायल प्राणी प्रिय लफ़्ज़ श्रवण,
सतरंग हृदय नभ भाता है।
पाखंड हृदय लफ़्ज़ें प्रकटित,
समुदार भाव दिखलाता है।
अल्फ़ाज़ कुटिल अपमान मनुज,
तौहीन समाज करवाता है।
अभिलाष मधुर लफ़्ज़ें मधुरिम,
हर राह सुगम बन जाता है।
मनमीत प्रीत सद्रीति गीत,
सुख शान्ति सुयश मुस्काता है।
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