देखिए यूँ ना अब दग़ा कीजे - ग़ज़ल - करुणा कलिका

अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122  1212  22

देखिए यूँ ना अब दग़ा कीजे, 
ख़ुद की नज़रों से ख़ुद वफ़ा कीजे।

चाहती हूँ तेरी ग़ज़ल मैं बनूँ, 
हर्फ़ो में बस मुझे लिखा कीजे। 

वस्ल की रात की सहर ना हो, 
मेरे संग आप भी दुआ कीजे। 

आप ही आप बस गए मुझमें, 
आप भी ख़ुद को अब फ़ना कीजे। 

मानती हूँ ग़मों का मौसम है, 
ख़ुद को ग़म से मगर जुदा कीजे। 

आपको गर नहीं मुहब्बत है, 
जान हो जान मत कहा कीजे। 

मुड़ के मैं गर चली गई तो फिर, 
याद हिज्र को सनम ज़रा कीजे। 

मुख़्तसर हो गए कली के लिए, 
दिल को सबसे न यूँ लगा कीजे। 

करुणा कलिका - बोकारो (झारखंड)

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