आज ख़ुशियों का मिरा मंज़र कहाँ है - ग़ज़ल - आयुष सोनी

अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
तक़ती : 2122  2122  2122

आज ख़ुशियों का मिरा मंज़र कहाँ है, 
घर में बैठा ढूँढ़ता हूँ घर कहाँ है। 

माँ की आँखों से भी डर जाते थे हम तो, 
आज कल बच्चो में ऐसा डर कहाँ है। 

यूँ अकेले आ गए हो जंग लड़ने, 
ये बताओ तुम सफ़-ए-लश्कर कहाँ है। 

हार आए हो लगा का दाँव पर सब, 
पूछते हो माँ तिरा ज़ेवर कहाँ है। 

इस सफ़र में मुद्दतों से हूँ अकेला, 
सोचता हूँ अब, मिरा रहबर कहाँ है। 

ये नुमाइश तो मुबारकबाद तुमको, 
कोई बतलाए मिरा मगहर कहाँ है। 

आ गए हो दोस्तो तो आओ बैठो, 
और दिखलाओ ज़रा, ख़ंजर कहाँ है। 

आयुष सोनी - उमरिया (मध्यप्रदेश)

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