तुम्हारा प्यार ही है
जो ज़िंदा रखने की एक दवा
है, नहीं तो कबका इस उबाऊ
दुनिया से ऊब गए होते।
ओ दिल्ली के नायक तुम्हें
प्यार का अहसास है
जब दो प्रेमी मिलते हैं तो
कैसे दिल की गति बढ़ जाती है
जैसे मेट्रो की सरपट भागती गाड़ी
और उसमें बैठा यात्री चला जा रहा
अपने मंज़िल पर
ये प्यार ही है जो उसे रोकती नहीं
तुम्हारा प्यार कैसा है?
वो दिल्ली के सेवक।
विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)