पर्व रक्षा बंधन का - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'

"पर्व रक्षा बंधन का" प्रेम, स्नेह, सम्मान का पर्व है रक्षा बंधन का त्योहार।
सनातन धर्म में सद्भावना पूर्वक मनाया जाता है यह त्योहार।
शास्त्र, पुराण, वेद करते हैं गुणगान जिससे और भी ख़ास बन जाता है यह त्योहार।
बहनों द्वारा भाई की सुनी कलाई पर रक्षा का सूत्र बाँधने की याद दिलाता है यह त्योहार।
मुगल सम्राट हुमायूँ को रानी कर्णावती ने राखी बाँध मनाया था यह त्योहार।
प्रेम, सौहार्द और भाईचारे के वातावरण का निर्माण करता है यह त्योहार।
अपने भाई की लम्बी उम्र की चाहत लिए बहने मनाती हैं यह त्योहार।
सरहद पर डटे सैनिकों को रक्षा सूत्र बाँध उनका सम्मान करने की याद दिलाता है यह त्योहार।
चाँद तारों सी चमक अपनी आँखों में भर सूरज से तेज़ सा आशीर्वाद दिला जाता है यह त्योहार।
अटूट प्रेम और विश्वास का भाव भाई बहन में भर जाता है यह त्योहार।
रिश्तों की मधुरता, पवित्रता और मज़बूती को बढ़ा जाता है यह त्योहार।
ससुराल से मायके न जा पाने पर भी रक्षा सूत्र पहुँचवा देता है यह त्योहार।
रक्षा का सूत्र कच्चा ही सही भाई बहन के प्यार को मज़बूती देता है यह त्योहार।
बहनों के जीवन में ख़ुशियों की सौग़ात लाता है यह त्योहार।
माँ के जाने के बाद भाभियों को अधिक ज़िम्मेदार बना जाता है यह त्योहार।
बाज़ार की रौनक बड़ा ग़रीबों को भी रोज़गार दे जाता है यह त्योहार।
पकवानों की महक संग रंगोली से भर जाता है घर द्वार।
हर्ष उल्लास के साथ ढेर सारी ख़ुशियों संग मनाओ यह त्योहार।

डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा' - इन्दौर (मध्यप्रदेश)

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