मेरा राम आएगा - कविता - ईशांत त्रिपाठी

गोस्वामी बाबा तुलसीदास जी पर कविता।

चले मानस पढ़ै पढ़इया बड़न,
लगे दोहा रटै रटइया ग़ज़ब,
इन्हें राम की कोई रमणीयता न प्रिय,
जाने निशाचर का अहंता हिय,
बड़े-छोटे का और अमीर ग़रीब,
डिग्री के चर्चे न भूला शरीर,
लमहर परवचन मुख में रमे,
मनवा न सोखा नीक एकौठे चीज़,
भेद की दृष्टि अउर भेद के चेत ,
मिटाय न पावा मानस उपदेश,
चित् के शान्ति अउर भाव विवेक ,
सब जुट गए रटने दोहा अनेक,
ऐसा न आप मानस पढ़ना,
तुलसी जी का ख़ूब आदर करना,
ज्ञान में शील हो ध्यान राम का,
मान मिटा देना धन-समाज का,
फिर मानस का जादू चढ़ जाएगा ,
मन में सुख-विरक्ति भर आएगा,
मोह-प्रपंच सब छूट जाएगा,
एक ही दोहे से मेरा राम आएगा...
मेरा राम आएगा..
हाँ, मेरा  राम आएगा।

ईशांत त्रिपाठी - मैदानी, रीवा (मध्यप्रदेश)

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