मोहिनी सुरतिया मन को है भाए,
श्याम श्याम श्याम कटते जाए।
मेरे दिल को ये बड़ा ही लुभाए॥
सबके मन को देखो कैसे हरसाए,
सबके के घरों में द्वारपाल आए।
मोहिनी सुरतिया मन को है भाए,
श्याम श्याम श्याम कटते जाए।
मेरे दिल को ये बड़ा ही लुभाए॥
दीन धर्म की इसे ख़बर न आए।
मेरे तन मन को कैसे ये हरसाए,
मोहिनी सुरतिया मन को है भाए,
श्याम श्याम श्याम कटते जाए।
मेरे दिल को ये बड़ा ही लुभाए॥
दीन धर्म की इसे लाज न आए,
जिसके दर्शन को जग दौड़ा आए।
मोहिनी सुरतिया मन को है भाए,
श्याम श्याम श्याम कटते जाए।
मेरे दिल को ये बड़ा ही लुभाए॥
पुरा जगत जिस पर पुष्प बरसाए,
जिसके आशीष से दुःख हार जाए।
मोहिनी सुरतिया मन को है भाए,
श्याम श्याम श्याम कटते जाए।
मेरे दिल को ये बड़ा ही लुभाए॥
कुमारी गुड़िया गौतम - जलगाँव (महाराष्ट्र)