चंद्रमौली भगवान - कविता - गणेश भारद्वाज

हे शिव शंकर डमरू वाले
सीधे सादे भोले भाले
भजन करूँ तन मन से तेरा
अंतरमन में बसने वाले।

पल में ख़ुश हो जाने वाला
तुम सम ऐसा देव कहाँ है
हर पल चलती लीला तेरी
पद में तेरे सकल जहाँ है।

मस्तक में रजनीश विराजे
कोमलता के भाव दिखाए
शीश विराजे गंगा मैया
कल-कल करती नाद सुनाए।

बाघ चर्म का आसन प्यारा
विषधर कंठ मनोहर सोहे
कर में शंख त्रिशूल विराजे
मनभावन छवि सबको मोहे।

जन्म-मरण को वश में करके
सब देवों में देव बड़े हैं
हम पर भी अनुकम्पा कर दो
तेरे पद में आन पड़े हैं।

गणेश भारद्वाज - कठुआ (जम्मू व कश्मीर)

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