नयन-नयन में हो रही - कुण्डलिया छंद - भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क'

नयन-नयन में हो रही, नयन-नयन की बात।
प्रेम प्यार का अंतरा, गीत-ग़ज़ल शुरुआत॥

गीत ग़ज़ल शुरुआत, शब्द रचना है सुरीली।
ऐसे समझो यार, जैस है माचिस तीली॥

कहें बेधड़क बंधु, होय तकरार चयन में।
बातों की शुरुआत, हो रही नयन-नयन में॥

भगवती प्रसाद मिश्र 'बेधड़क' - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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