अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)
उम्मीद पर करने लगी संवेदना हस्ताक्षर - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
शुक्रवार, मार्च 04, 2022
उम्मीद पर करने लगी
संवेदना हस्ताक्षर।
हैं ख़्वाब आँखों के
पखेरू हो गए।
विश्वास के पर्वत
सुमेरू हो गए।।
आशा अँगूठा छाप थी
अब हो गई है साक्षर।
पल्लव को हरियाली
रही है दुलार।
छलक पड़ा ऋतुओं का
मौसम से प्यार।।
चमकीले हैं मोती जैसे
चौपाई के अक्षर।
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