तुम सुन रहे हो ना - कविता - ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'

अगले जन्म में मुझे सिर्फ़ तुम चाहिए...
तुम... सुन रहे हो ना...

साथ में चाहिए मुझे तुम्हारी
वो शफ़्फ़ाफ़ सी आँखें,
वो बच्चों सी मासुम हँसी,
वो शरारत भरी बातें,
और वो तुम्हारे गालों पर
दिखने वाला हल्का सा डिंपल,
तुम... सुन रहे हो ना...

अगले जन्म मुझे सिर्फ़ तुम चाहिए,
तब यूँ ना मिलना तुम
कतरों में, लम्हों में बिखरे से,
छोटे-छोटे पलों में बँटे हुए से,
मिलना मुझे सम्पूर्ण, हर कतरा, हर पल, हर लम्हा,
तुम... सुन रहे हो ना...

अगले जन्म मुझे सिर्फ़ तुम चाहिए
तब बनाएँगे हम मिलकर
प्यारा सा, प्यार से भरा
अपना छोटा सा आशियाना,
नहीं ये ईंट पत्थर वाला नहीं,
वही खुले से छत वाली,
प्यारे से आँगन वाला
अपने सपनों का 'अपना जहाँ'
तुम.... सुन रहे हो ना...

उसके तस्वीर के सामने
खड़े हो कर, भीगी आँखों से
आज फिर बात की घंटों मैंने,
फिर आज यही पुछा था
तुम... सुन रहे हो ना...

अगले जन्म मुझे सिर्फ़ तुम चाहिए
तुम... सुन रहे हो ना...

ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना' - राउरकेला (ओड़िशा)

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