प्‍यार हुआ है मुझको जबसे - गीत - डॉ॰ सुमन 'सुरभि'

प्‍यार हुआ है मुझको जबसे, जीना मरना भूल गई।
सारा-सारा दिन सखियों सँग बातें करना भूल गई।

मुझ में आन बसे हो ऐसे, जैसे प्रान बदन में,
उजियारा बन कर आए हो अँधियारे जीवन में।
प्रेम की धूप खिली ऐसी कि रात उतरना भूल गई।
प्‍यार हुआ है...

सुधियों की बारिश मे तेरी भीगी मैं साँवरिया,
बिखरे केश वसन भी उलझे, डोलूँ हो बावरिया।
दरपन में देखूँ छवि तेरी और सँवरना भूल गई।
प्‍यार हुआ है...

दो नैनों के दीप जलाकर देहरी पे रखती हूँ,
मौन विरह की व्‍यथा समेटे प्रेम अगन चखती हूँ।
धड़कन को थामें बैठी हूँ, साँसें भरना भूल गई।
प्‍यार हुआ है...

डॉ॰ सुमन 'सुरभि' - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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