रमेश चन्द्र वाजपेयी - करैरा, शिवपुरी (मध्य प्रदेश)
सिपाही - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
बुधवार, मार्च 23, 2022
हमें गर्व है,
उन वीर सपूतों पर,
जो माँ की ममता पिता का प्यार,
घर का मोह छोड़,
फ़ौज में जाते है।
हमें स्वाभीमान है,
वीर बहादुर जवानों पर,
जो जीवनसंगनी का प्यार,
मित्रो का स्नेह,
त्याग कर,
रणभूमि में अड़ जाते है।
है ग़ुरूर हमें देश के लाडलो पर,
जो हर मौसम की,
हार मार सह कर भी,
कभी शिकायत नहीं करते,
और ख़ुश रहते है,
हर हाल में।
हमें गर्व है,
उन रण बांकुरो पर,
जो हमें चैन की,
नींद सुला,
भिड़ जाते दुश्मनों से,
हर काल में।
सम्मान करता हूँ,
उन देश के,
हर सिपाही का,
जो अपनी जान की,
परवाह किए बिना,
दुश्मन के आगे अड़ जाते है।
हमें गर्व है,
उन वीर सपूतों पर,
जो माँ की ममता,
पिता का प्यार,
घर का मोह छोड़
फ़ौज में आते है।
जिन्हें कर्तव्य सर्वोपरि है,
जाति-पाति का
भेद नहीं,
धर्म नहीं बनता जिनकी बाधा,
होली हो या
हो दिवाली के पकवान,
चाहे हो ईद की सेवइयाँ,
मिल बाँट कर
कर लेते है आधा।
एक आदेश मानकर
और अनुशासन में रहकर,
अपने फ़र्ज़ का
आभास कराते है।
हमें गर्व है
उन वीर सपूतों पर
जो माँ की ममता पिता का प्यार
घर का मोह,
छोड़ फ़ौज में आते है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर