नव संवत की शुभकामनाएँ - कविता - आर्तिका श्रीवास्तव

चैत्र मास का प्रथम चंद्रोदय
आओ मनाए नव वर्ष आज,
मंगल गाए ख़ुशी मनाएँ
सनातनी नव वर्ष है आज।

ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना 
इसी दिन से की थी शुरुआत,
भारतीय नूतन दिवस मनाए
अपने अपने विधि से आज।

चैत्र नवरात्रों की पूजा करते
माँ शैलपुत्री का ले आशीर्वाद,
नौ देवी को घर में न्योत के
कलश स्थापित करते आज।

नए फ़सल की करें आराधना 
हो वर्ष भर अन्न की पैदावार,
गुड़ी पड़वा का दिन है अनोखा
पूरण पूली सी भरे मिठास।

करो साफ़-सफ़ाई मिल के सारे
द्वार सजाओ रंगोली ख़ास,
आम पत्र को ख़ूब सजाकर
आओ, द्वारे लगाए बंधनवार।

पंजाब मानता बैसाखी इस दिन
ढोल नगाड़े गिद्दा साथ,
पीले चावल कढ़ी और खीर संग
मौज मस्ती और भरे उल्लास।

बंगाल में नववर्ष का उत्सव
कहलाता है पोइला बैसाख,
पांत भात का भोजन बनता
माँ काली-महादेव पूजन के बाद।

दक्षिण भारत में मने उगादी
है इस दिन का महत्व अपार,
आम नारियल इमली नीम गुड़
मिलकर पच्चड़ी बनता ख़ास।

हो सुखकारी और मंगलमय
सबके घर हो ख़ुशियों का आग़ाज़,
है भिन्न भले ही हर एक का
नववर्ष मानने का अंदाज़।

आर्तिका श्रीवास्तव - लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos