इस बार होली में - कविता - रमाकान्त चौधरी

तुझको रंग लगाने का,
तेरे घर तक आने का,
तुझको गले लगाने का,
जीभर प्यार लुटाने का,
बस इतना सा दिल चाहे।

नयनों से तीर चलाने का,
तुझे घायल कर जाने का,
आहें तुझे भराने का,
ख़ूब तुझे तड़पाने का,
बस इतना सा दिल चाहे।

तेरे संग में हँसने का,
तेरे संग में रोने का,
तुझको ख़ूब भिगोने का,
केवल तेरा होने का,
बस इतना सा दिल चाहे।

ज़ुल्फ़ों को सहलाने का,
गालों पे हाथ घुमाने का,
अधरों से अधर मिलाने का,
और तुझमें खो जाने का,
बस इतना सा दिल चाहे।

अपना तुझे बनाने का,
तेरी माँग सजाने का,
और तुझ पर लूट जाने,
तेरे संग जहाँ बसाने का,
बस इतना सा दिल चाहे।।

रमाकांत चौधरी - लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)

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