पुस्तक - कविता - अजय कुमार 'अजेय'

जिसने हमें बचपन में ककहारा सिखाया,
ईकाई-दहाई पढ़ाया, अक्षर ज्ञान कराया।

जिससे ज्ञानार्जन कर रोज़गार था पाया,
जीवन की हर मुश्किल का हल हमें बताया। 
जिसने गौरवशाली अतीत से साक्षात्कार कराया,
हमें हमारी पौराणिक धरोहरों से मिलवाया।
जिसके अध्ययन से मंगल तक पहुँच बनाई,
चाँद से ज़रा से चूके, नज़र गगन से नहीं हटाई।
जिसको रात दिन पढ़कर डॉक्टर बन पाते,
जीवन रक्षा करते भगवान तुल्य कहलाते। 
जिसके अध्ययन से इंजीनियर भी बन जाते,
दुरम्य पहाड़ों में सुरम्य अटल टनल बनाते।
जिसके गहन पाठ-पाठन से मुनीम सीए कहलाए।
मल्टीनेशनल कम्पनियों में सीईओ तक बन जाए।
जिसकी धाराए पढ़ अधिवक्ता बन दाम कमाते,
दुखियारों के हित संरक्षक बन अदालत में जाते।
जिसको पढ़ व्यापारी खाते स्वंय लिख पाता,
अर्थ-प्रबंधन, क्रय-विक्रय सब एक साथ निभाता।
जो अतीत में भोज-ताम्र पत्र से जानी जाती,
ऐसी पोथी किताब ग्रंथ पुस्तक है कहलाती।।

अजय कुमार 'अजेय' - जलेसर (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos