महेन्द्र 'अटकलपच्चू' - ललितपुर (उत्तर प्रदेश)
आदमी की पहचान - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
सोमवार, फ़रवरी 14, 2022
आपके सामने मैं भरसक कोशिश करूँगा
ईमानदार, होशियार, आपका तलबगार, वफ़ादार
आपका ख़ैर-ख़्वाह बना रहूँ।
पर शायद आप यह भूल जाते हैं
कि मैं ऐसा हूँ नहीं।
मैं तो मुँह में राम बगल में छुरा,
अच्छों में सबसे बुरा,
बुरों में सबसे अच्छा हूँ।
आपको पता है?
मैं इंसान नहीं
आदमी हूँ आदमी।
मैं कौआ नहीं
मैं तन का उजला, मन का काला हूँ
आपको पता है?
मैं इंसान नहीं
आदमी हूँ आदमी।।
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