प्रेम की बाती - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'

सुख दुख में हर पल जो सबका साथी है,
वह ज्ञान की ज्योति है वह प्रेम की बाती है।

अँधियारे पथ में भी जो राह दिखाता है,
संकट की बेला में जो भाग्य विधाता है।
वह प्यार की भाषा है ममता की पाती है,
वह ज्ञान की ज्योति है वह प्रेम की बाती है।

दुखियों के दुख दर्द को पल में जो हर ले,
ऐसी मधु वाणी में जो अपने घोले।
देकर सबको ख़ुशियाँ ख़ुद तम को खाती है,
वह ज्ञान की ज्योति है वह प्रेम की बाती है।

रुक ना जाना तुम थक कर जीवन पथ में,
चढ़कर चला ज़माना जिस उम्मीदों के रथ में।
सत्य का घोड़ा है वह न्याय का सारथी है,
वह ज्ञान की ज्योति है वह प्रेम की बाती है।

कोटि बाधाएँ हो तो भी धैर्य का दामन मत छोड़ो,
रूठी आशाएँ हो तो भी आस का दर्पण मत तोड़ो।
वह जीत की मूरत है वह हार का साथी है,
वह ज्ञान की ज्योति है वह प्रेम की बाती है।

जयप्रकाश 'जय बाबू' - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

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