मेरे प्रभु - कविता - चंद्रमणि ओझा

हे प्रभु! तुम्हीं बस हो एक हमारे,
तुम्हीं हो नैया तुम्हीं किनारे।
तुम्हारी करुणा में जी रहे हम,
तुम्हीं से चलती साँसें है हरदम।
ये कह रही है हर एक धड़कन,
तुम्हारे बिन अब लगता नहीं मन।
हर नेत्र हर दुनिया में समाकर,
दिखाते सब कुछ स्वयं छिपाकर।
तुम्हारी सूरत की क्या कमी है,
जहाँ भी देखें वही ज़मी है।
हम क्या कहें प्रभु तुम्हारे गुण को,
तुम्हीं हो सूरज चाँद सितारे।
हे प्रभु! तुम्हीं बस हो एक हमारे,
तुम्हीं हो नैया तुम्हीं किनारे।

चंद्रमणि ओझा - मऊ, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)

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