मुझको हक़ दें दो - कविता - अंकुर सिंह

अपने दिल का हाल सुनाऊँ,
मुझे अपना ऐसा पल दे दो।
बिन हिचक कहें अपनी बातें।
ऐसा तुम मुझको हक़ दें दो।।

रहें संग जब हम दोनों,
हम में प्रेम की बात हो।
बने रहेंगे एक दूजे के,
थामे हाथ ये विश्वास हो।।

ऐसा तुम मुझको....

मेरे नयन से नयन मिला,
दिल में प्रेम प्रीत जगा दो।
साँसों से रूह तक बसकर,
प्रेम सागर से पार लगा दो।।

तन की दूरी मन से मिटाएँ,
एक दूजे का नाम अपनाएँ।
जीवन बिताएँगे हम संग,
आपस में ये विश्वास बनाएँ।।

ऐसा तुम मुझको...

बने रहेंगे एक दूजे के साया,
ऐसी सच्ची आस जगा दो।।
थामें हाथ अब ना छोड़ेंगे,
ऐसा हमसे विश्वास बना लो।।

मेरे दिल की तुम धड़कन, 
फ़ुरसर्त के अपने दें दो।
हर बात बताओ तुम मुझको,
ऐसा मुझको तुम हक़ दें दो।।

ऐसा तुम मुझको...

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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