मेरे हमराज़ हो तुम - गीत - पारो शैवलिनी

हमसफ़र हमनसीं हमदम
मेरे हमराज़ हो तुम 
मेरी साँसों में बसी 
मेरी ही आवाज़ हो तुम।
तेरे ही दम से है 
बहार मेरी ज़िंदगी में 
तू है शामिल मेरी 
हर ख़ुशी हर महफ़िल में।

धड़कते हुए इस दिल का
हसीं ताज हो तुम।।

मेरा हर ख़्वाब अधूरा है 
अगर तू है नहीं 
रास्ता भी यही है 
मेरी मंज़िल भी यही 
मेरे नक़्शे-क़दम की
नित नई अंदाज़ हो तुम।।

पारो शैवलिनी - चितरंजन (पश्चिम बंगाल)

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