आ सूरज हम साथ में खेलें - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

सदाचार कौलिक माणिक बन,
जीवन में सूरज बन चमकें।
सदाचार अरुणाभ चरित बन,
नभ प्रभात सूरज बन दमकें।

नव प्रभात सतरंग मुदित मन
आ सूरज हम साथ में खेलें।
उड़ें साथ मिल हम विहंग बन,
विकास प्रीति समरसता घोलें।

करो प्यार समरस मनभावन,
मुस्कान ख़ुशी दे जग चमकें।
कुसुमित उन्नति शुभ प्रसून बन,
त्याग न्याय सूरज सम चमकें।

समतामूलक हृदय भाव रख,
परहित सूरज बनकर चमकें।
जाति धर्म भाषा विभेद बिन,
सूरज सम सद्भावित चमकें।

दीन दुःखी जो दलित पीड़ित, 
मददगार सूरज बन चमकें।
नारी को जीवन शक्ति किरण,
प्रगति राह नित सूरज समझें।

सुखद शान्ति अरुणिम प्रभात बन,
सतरंगी नभ  सूरज चमकें।
घनश्याम गगन चमके विद्युत,
सूख दुख जीवन रवि सम चमकें।

चहुँ ओर मुदित नवभोर अरुण,
भानूदय सत्कामी समझें।
सूरज सम द्युतिमान सुयश रच,
सत्पथ गामी अविचल समझें।

सन्तान प्रकृति है प्राणी सब,
एक भाव मन बनकर चमकें।
दिनकर किरणें पड़ें सभी घर,
समरस परहित सुख बन चमकें।

मधुर वचन मुख क्षमाशील बन,
आहत राहतत बनकर चमकें।
राष्ट्रधर्म मानवता रक्षण,
नीति प्रीति रथ रवि बन चमकें।

सर्वसुलभ शिक्षा ज्योति किरण,
ज्ञान लोक सूरज बन चमकें।
निर्माण राष्ट्र अर्पण तन मन,
अमर शौर्य आलोकित समझें।

बनो दिवाकर रोग विनाशक,
घृणा कपट तम घातक समझें।
लोभ कोप माया मिथ्या मद,
शोकनिवारक सूरज समझें।

सहस्रांशु बन सत्कर्म किरण,
आनंद कुसुम मकरंद बनें।
बन आन तिरंगा नभ दिनकर,
अनमोल कीर्ति मनमोर बनें।

डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली

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