ममता शर्मा 'अंचल' - अलवर (राजस्थान)
दो कजरारी आँखों में - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
सोमवार, अक्तूबर 25, 2021
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती: 22 22 22 2
दो कजरारी आँखों में,
इन उजियारी आँखों में।
सारी दुनिया दिखती है,
हमें तुम्हारी आँखों में।
निजहित सँग परहित पाया,
नित उपकारी आँखों में।
किन्तु दर्द किसलिए बसा,
आज दुलारी आँखों में।
कैसे आई है कहिए,
यह लाचारी आँखों में।
धैर्य धरो जी सब कुछ है,
इन संसारी आँखों में।
सुख दुख दोनो आते हैं,
बारी-बारी आँखों में।
ज्यों 'अंचल' को प्यार मिला,
प्यारी-प्यारी आँखों में।
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