तंबाकू: पतन का मार्ग - कविता - अर्चना कोहली

सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू हो या शराब,
सभी से होती काया हमारी ख़राब।

पतन मार्ग में शनै: शनै: ले जाती,
प्रेम-सौहार्द को कलह में बदल देती। 

नशे में पता नहीं क्या ख़ुशी ढूँढते
चोरी करने में भी ज़रा न झिझकते।

गंभीर बीमारियों से तनु जर्जर हो जाता,
समय से पूर्व ही मृत्यु-द्वार खुल जाता। 

सब सपने इसी की ही भेंट चढ़ जाते,
नन्हे-मुन्ने ग़लत राह अख़्तियार करते।

नशे हेतु ज़िंदगी से खिलवाड़ मत कीजिए,
अनमोल ज़िंदगी को सस्ती मत बनाइए।

तंबाकू निषेध का सभी मन में ठान लो,
ख़ुशी-द्वार ओर मिलकर क़दम बढ़ा लो।

हमेशा के लिए अब इससे नाता तोड़ दो,
पतन का यह बुरा मार्ग अब छोड़ दो।

अर्चना कोहली - नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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