श्रवण निर्वाण - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)
वक़्त कब ठहरा - ग़ज़ल - श्रवण निर्वाण
गुरुवार, अगस्त 19, 2021
अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा
तक़ती: 22 22 22 22 22 2
गर मायूस हुआ नाकामी से चहरा,
कैसे वो सजे सिर पे जीत का सेहरा।
उनसे ज़ख़्म मिले भूले नहीं हैं हम,
कैसे अब बने रिश्ता आज ये गहरा।
अब है दौर क़यासों का यहाँ देखो,
चाहे मिलना मगर है हर तरफ़ पहरा।
तक़लीफ़ें न सुने लाचार लोगों की,
करते शोर यहाँ अब राज है बहरा।
राहें आज सजी रंगीन फूलों से,
पर 'निर्वाण' बता ये वक़्त कब ठहरा।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर