राखी लेके आई बहना - कविता - राजकुमार बृजवासी

रंग बिरंगी राखी लेके आई बहना,
ख़ुशियों की सौग़ात संग में लाई बहना।
अंकिता और स्वेती दोनों बाँट रही मिठाई बहना,
रंग बिरंगी राखी लेके आई बहना।

नीली पीली हरी गुलाबी राखी ये अनमोल है,
धागा है ये रेशम का पर इसका ना कोई मोल है।
राखी हमें सिखाती है प्रेम एकता भाईचारा,
बाँटो प्यार एक दूसरे को हो जाएगा जग उजियारा।
हम तुम डाली एक पेड़ की किसने कहा पराई बहना,
ख़ुशियों की सौग़ात संग में लाई बहना,
रंग बिरंगी राखी लेके आई बहना।

बहना तेरी राखी का क़र्ज़ मैं चुकाऊँगा,
इस राखी के बदले, सीमा पर लड़ने जाऊँगा।
ताक़त देगी ये राखी मुझे, दुश्मन को मार भगाऊँगा,
बंधी है राखी जिस हाथ पे, उसी से तिरंगा लहराऊँगा।
देकर दुआएँ दिल से, माथे पे चंदन लगाई बहना,
ख़ुशियों की सौग़ात संग में लाई बहना,
रंग बिरंगी राखी लेके आई बहना।

आँगन की तुलसी पूजा की कलशी लक्ष्मी तू घर की है,
मम्मी-पापा दादा-दादी सेवा सब की करती है।
जिस दिन बैठेगी तू डोली में घर सूना हो जाएगा,
हाथी घोड़े खेल खिलौने बचपन कहीं खो जाएगा।
उस घर लक्ष्मी विराजे जिस घर मुस्काई बहना,
ख़ुशियों की सौग़ात संग में लाई बहना,
रंग बिरंगी राखी लेके आई बहना।

राजकुमार बृजवासी - फरीदाबाद (हरियाणा)

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