बहन-भाई के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन कहलाता है।
ये सावन मास की पूर्णिमा को चाव से मनाया जाता है।।
भाई-बहन के प्रेम का पावन ये त्यौहार है,
बाँध के राखी भाई को बहन ख़ुश हो बेशुमार है,
बंधवा के राखी भाई-बहन से फूल्या नहीं समाता है।
दे दुआ बहन भाई को तु सदा रहै ख़ुशहाल भाई,
जब कोई विपता आए मेरे ऊपर तु देना उसको टाल भाई,
फिर भाई बहन की रक्षा का संकल्प वो उठाता है।
इस राखी के धागे की ये महिमा है निराली,
इस धागे ने न जाने कितनी बहनों की लाज बचाली,
ये राखी का धागा भाई को बहना की याद दिलाता है।
हे भगवन इस दिन कोई ना सुन्नी रखिए कलाई तु,
सब भाइयों को बहन दिए और सब बहनों को भाई तु,
'समुन्द्र सिंह' आज हाथ जोड़कर यही तेरे से चाहता है।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)