खड़ा हिमालय नतमस्तक-सा
मौन सदृश सब देख रहा,
नदियों के पावन जल-कण में
वीरों का स्वर गूँज रहा।
देश की रक्षा की ख़ातिर
तुम देशभक्त कहलाते हो,
प्राणों के बलिदान की ख़ातिर
शहीद अमर कहलाते हो।
केसर घाटी की माटी भी
शत्रु रक्त से हर्ष हुई थी,
वीरों के जयनाद से भी
धरा भी तब मुस्काई थी।
माँ के वीर सपूतों में ही
त्याग, साहस, बलिदान है,
उनके शौर्य पराक्रम से ही
यह देश आज़ाद है।
महापुरुषों के चरितार्थों का
गाथाओं में गान हो,
कश्मीर से दक्षिण भारत तक
राष्ट्र का सम्मान हो।
समर भूमि में शहादतों का
शंखनाद सा घोष हो।
देशभक्ति की भावना
वतन के हर इंशा में हों।
दीपा पाण्डेय - चम्पावत (उत्तराखंड)