उदास दिल - कविता - ऋचा तिवारी

ना जाने क्यूँ आज कल,
ये दिल बहुत उदास है।
कहने को तो सब है,
पर एक सुकून की तलाश है।

वक़्त की बेड़ियों ने
कुछ ऐसे जकड़ी है ज़िंदगी।
कि ख़ुद को वक़्त देना भी
लगता एक ख़्वाब है।
ना जाने क्यूँ आज कल,
ये दिल बहुत उदास है।

थोड़ी बिखरी बिखरी सी
लगने लगी है हसरते।
ना कोई दर्द है, ना प्यास है,
न चुभने वाली बात है।
फिर भी जाने क्यूँ आज कल,
ये दिल बहुत उदास है।

चलते चलते थक गए,
अब रुकने की है चाहते।
मंज़िल पहुँचकर भी क्यों
ख़ुशी का नहीं एहसास है।
ना जाने क्यूँ आज कल,
ये दिल बहुत उदास है।

ज़माना कहता था हमसे कि
आप सी हो मेरी ज़िंदगी।
पर कैसे उन्हें बताए
नहीं अच्छे मेरे अभी हालात है।
ना जाने क्यों आज कल
ये दिल बहुत उदास है।

ऋचा तिवारी - रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

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