तू क्या है? - कविता - रवि कुमार दुबे

तू नूर है, तू मेरी ग़ुरूर है,
तू मेरी है, तू जन्नत की हूर है।

तू धूप है तू छाँव है,
तू मेरी मोहब्बत की पनाह है।

तू इश्क़ है, तू प्यार की मूरत है,
तू हर इक मोड़ पर मेरी ज़रूरत है।

तू मेरी जान है पहचान है,
तू मेरे प्यार की हद से अनजान है।

तू मेरी रूह है, मेरी उम्मीद की तारा है।
मेरे वीरान ज़िंदगी की बस तू ही सहारा है।

तू मेरा सोच है मेरा सपना है,
तेरी हर एक अदा और नख़रे मेरा अपना है।

तू मेरी हद है तू मेरी ज़िद है,
तू मेरी दिन है और रातों की नींद है।

मेरे अँधेरे राहों का तू ही उजाला है,
मेरी अंतर-आत्मा की तू धधकती ज्वाला है।

तू मेरी साँस है, आवाज़ है,
तू मेरी छोटी सी ज़िंदगी की मीठी सी साज़ है।

रवि कुमार दुबे - सोनभद्र (उत्तर प्रदेश)

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