अब जागो उठो हे भारतवासी!
आँखें खोलो हे अभिलाषी!
सपने पूरे करने को फिर
नया सवेरा हुआ अभिलाषी!
जो कष्ट सहे हैं जीवन में
दर्पण वो देखो अभिलाषी!
जीवन जन्म बने अविनाशी,
अब जाग उठो हे भारतवासी!
कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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