हमीं से दूर जाना चाहता है - ग़ज़ल - प्रशान्त "अरहत"

अरकान: मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन
तक़ती: 1222 1222 122

हमीं से दूर जाना चाहता है।
तभी वो पास आना चाहता है।।

नई दुनिया बनाई है वहाँ पर,
वही मुझ को दिखाना चाहता है।

परिंदा रह नहीं सकता अकेला,
नया वो भी ठिकाना चाहता है।

लगी है भूख उसको वो तभी अब,
उसूलों को पकाना चाहता है।

जफ़ा की सब हदों को तोड़ कर भी,
वफ़ादारी निभाना चाहता है।

हमारे लख़नऊ का यार मुझ पर,
निशाना वो लगाना चाहता है।

प्रशान्त "अरहत" - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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