फूलों सा तुम खिलते रहना - कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

नेकी के रास्ते पर चलते रहना,
प्यार से आगे बढ़ते रहना।

सफलता रुक नहीं सकती,
मेहनत तुम करते रहना।

राहों में हैं काँटे बहुत सारे,
फूलों सा तुम खिलते रहना।

अमावास्या रूपी अंधकार में,
दीप सा तुम जलते रहना।

बुलंदियो को छुना हैं एक दिन,
उच्च शिखर पर चढ़ते रहना।

आलोचक जब करें आलोचना,
मूक बनकर तुम सुनते रहना।

चुनौतीयाँ बहुत हैं जीवन में,
"पंवार" उनसे तुम लड़ते रहना।

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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