संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
नशा नाश क मूल बा - अवधी गीत - संजय राजभर "समित"
मंगलवार, जून 08, 2021
देई डुबाय नइया,
इ भाँग दारू गँजवा।
सुना हो सईयाँ जी,
जर जाई करेजवा।।
थू-थू करत बा आज,
गँऊवा के लोगवा।
सब कुछ बिकाय जाई,
छुटी ना ई रोगवा।
शउख बरिआर लागल,
कइसे बची परनवा।
सुना हो सईयाँ जी,
जर जाई करेजवा।।
मारपीट करबय तू,
गिरबय नाला-नाली।
मिलके लल्लू पंजू,
देइहँ तोहंँय गाली।
धूमिल होई इज़्ज़त,
डूब जाइ सुरूजवा।
सुना हो सईयाँ जी,
जर जाई करेजवा।
बड़-बड़ दिग्गज नाहर,
भइलय जमींदोज हो।
नशा नाश क मूल बा,
'समित' बोलय रोज़ हो।
इतिहास तनी झाँका,
टूट जाई पिंजरवा।
सुना हो सईयाँ जी,
जर जाई करेजवा।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर