सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
पुलिस वाली - लघुकथा - सुषमा दीक्षित शुक्ला
मंगलवार, मई 25, 2021
ख़ूबसूरत सुधा गली से तेज़ क़दमों से शाम के करीब छह बजे गुज़र रही थी, वह नीले रंग का सादा सा सूट पहने काफी ख़ूबसूरत नज़र आ रही थी।
अचानक दो शोहदे दूसरी तरफ़ सुधा की तरफ़ तेजी से लपके और पीछे पीछे चल दिए।
वे दोनों सुमन के करीब पहुँचते ही उसको देखकर कुछ भद्दा कमेंट करने लगे। पहले तो सुधा कुछ नहीं बोली बस उनको घूर कर किसी शेरनी की तरह देखा।
तब शोहदों की ढिठाई और बढ़ गई और वे उसको देखकर कुछ अश्लील छेड़छाड़ की बातें करने लगे और उसकी तरफ़ ग़लत हरकत करने की नीयत से तेजी से बढ़े ही थे कि सुधा किसी चीते की तरह उनकी ओर पलटी और दोनों के गाल पर एक एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया कि दोनों को गश आ गई। वे दोनो ज़मीन पर गिर पड़े।
सुधा बोली, तुम्हारी शिकायत मिली थी मुझे, आज अपनी आँखों से देखने और तुम्हे सबक सिखाने ही निकली थी। तुमने इधर से निकलने वाली लड़कियों को बहुत परेशान कर रखा है ना। यह सब इंस्पेक्टर सुधा सिंह का थप्पड़ कैसा लगा आशिक़ों।
चलो सीधे मेरे साथ थाने, नहीं तो और भी मार मार कर भुर्ता बना दूँगी।
वो दोनों सब इंस्पेक्टर सुधा सिंह के क़दमों में गिर गए और माफ़ी माँगते हुए गिड़गिड़ा रहे थे कि मुझे माफ़ कर दीजिए अब आइंदा कभी किसी लड़की की तरफ़ ग़लत नज़र से नहीं देखेंगे, सबको अपनी बहन समझेंगे, मुझे माफ़ कर दीजिए, एक मौक़ा दे दीजिए।
परंतु तेज़तर्रार सब इंस्पेक्टर सुधा सिंह कहाँ मानने वाली थीं। उन्होंने, उन दोनों मनचलों को थाने अरेस्ट कर ले गईं और जेल भेज दिया।
ऐसे लोफ़रों के लिए ये सही सबक़ दिया सब इंस्पेक्टर सुधा सिंह जी ने।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर