सच की खोज में एक संन्यासी - कविता - विनय विश्वा

जब घोर अँधेरा छाए
तब मानवतावादी
चिंतन को लेकर
'बुद्ध' विश्व पटल पर आएँ।

सच को जानने की
बेचैनी में
सिद्धार्थ से 'बुद्ध'
बन आएँ।

विचारों में है जिसके क्रांति
मानव जीवन में लाएँ
करुणा और शांति।

अप्प दीपो भव:
जीवन ज्योत
जगाएँ।

आएँ हम-सब
'बुद्ध' के मार्ग को
अपनाएँ।

विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)

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