रूचिका राय - सिवान (बिहार)
पराग - कविता - रूचिका राय
सोमवार, मई 31, 2021
फूलों पर मँडराते भौंरे,
बग़िया बग़िया जाते हैं।
बैठ फूल पर पराग सदा
वो लेकर उड़ जाते हैं।
नहीं मतलब फूलों से उन्हें,
पराग ही उनको पाना है।
चूस पराग कण को फिर
दूसरे फूलों पर जाना है।
ऐसी ही कुछ इंसानी फ़ितरत,
बस अपने मतलब से काम है।
जब हो जाए काम फिर कहाँ
उसे किसी से पहचान है।
प्रेम का मतलब पाना उनका
फिर आगे नही काम है।
पाकर सदा ही दूसरे तलाश में
यही फ़ितरत अंदाज़ है।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर