नेह धरोहर - कविता - प्रीति त्रिपाठी

नित संबंधी-संबंधों में,
अन्वेषण और अनुबंधों में
क्या नेह धरोहर शेष रही।
अंतर्मन के संबोधन में,
स्वच्छन्दों या प्रतिबंधों में
क्या नेह धरोहर शेष रही।

एक दूजे का अन्तस् पढ़ना,
मन मंदिर में सपने गढ़ना,
भावों के फिर अवलंबन में,
क्या नेह धरोहर शेष रही।
अंतर्मन के संबोधन...

सुविचारों से अधिकारों तक,
कर्तव्यों के आधारों तक,
फिर ऊष्मा के बाज़ारों तक,
क्या नेह धरोहर शेष रही।
अंतर्मन के संबोधन...

तन व्यथित,अश्रु का निस्पंदन,
हर विरह पीर बनके चंदन,
जीवन का जस तस निष्पादन,
क्या नेह धरोहर शेष रही।
अंतर्मन के संबोधन...

प्रीति त्रिपाठी - नई दिल्ली

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