नंदिनी लहेजा - रायपुर (छत्तीसगढ़)
दिव्यांगजन - कविता - नंदिनी लहेजा
मंगलवार, जून 01, 2021
तुम जैसे ही हम इंसान हैं,
अधूरे हुए तो क्या?
हृदय भरा हर भावना से तुम्हारी ही तरह,
तन के किसी हिस्से का साथ छूटा तो क्या?
कोई कहे हमको है अपाहिज,
कोई कहे दिव्यांगजन हमें,
कोई दिखाता दया करुणा हम पर
तो किसी की कटाक्ष सहते हैं हम।
हम में से कोई जन्म से अधूरा
तो कोई दुर्घटना का हुआ शिकार,
पर ईश्वर ने दिया है हमको जीवन
सदा हैं हम उनके शुक्रगुज़ार।
बस इक विनती करते आप सब से,
हमें भी स्वयं जैसे समझें,
न दिखाए हम पर केवल दया,
हमें भी कार्य-सक्षम समझे।
माना बिन साथ आपके
हमको कठिनाई होगी,
हम तो सदा से चाहते
आप मित्रों का साथ,
परन्तु बिना किसी सहानुभूति।
स्वाभिमान संग जीवन जीने का अधिकार,
बोझ न समझे कोई हमें
आत्मनिर्भर बनने के हों हक़दार।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर