गोपाल मोहन मिश्र - लहेरिया सराय, दरभंगा (बिहार)
धागे जज़्बातों के - कविता - गोपाल मोहन मिश्र
शुक्रवार, मई 28, 2021
कितनी ही बातें हैं...
दिल में कहने को, कोई सुन ले तो आकर!
धागे जज़्बातों के...
उलझे हैं, थोड़ा इनको सुलझा लें तो जाकर।
व्यथा के आँसू...
क्यूँ सूखे हैं, थोड़ा इनको बह जाने दो झरकर,
चंद रातें ही बची हैं...
जीने को, थोड़ा सा तो हँस लेने दो जी भरकर।
इतने पहरे क्यूँ...
जीने पर, जज़्बातों को मुखरित तू कर,
बात दबी सी जो...
दिल में, कह दे खुले व्योम में जाकर।
चंदन बना तू...
आँसुओं के, जीवन की बहती धारा में घिसकर,
व्यथा तो बस...
इक स्वर है, बाकी के सप्त स्वर तू कर प्रखर।
कितनी ही बातें हैं...
दिल में कहने को, कोई सुन ले तो आकर!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर