आओ आशा दीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटाएँ।
फूलों से महकें महकाएँ,
दुखियारों के दुःख मिटाएँ।
रूह जलाकर ज़िंदा रहना,
जीवन की तो रीत नहीं।
अंतिम हद आशा रखना,
मानव मन की जीत यही।
सूखे पत्तों से झड़ जाते,
इक दिन दुःखो के साए।
मीत हृदय को धीरज देना,
पतझड़ ही मधुमास बुलाए।
ख़ुद से कभी न रूठो मितवा,
कोई कितना तुम्हें सताए।
नदियों जैसे बहते रहना,
कोई कितनी रोक लगाए।
मरने से पहले जीना मत छोड़ो,
आओ यारों नाचें गाएँ।
आओ आशा दीप जलाएँ,
अंधकार का नाम मिटाएँ।
सूरज से चमके चमकाएँ,
खुशियाँ दोनों हाथ लुटाएँ।
आओ आशादीप जलाएँ।
अंधकार का नाम मिटाएँ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)