दर्पण झूठ नहीं कहता है - गीत - रमाकांत सोनी

अंतर्मन झाँको थोड़ा सा, 
ईश्वर घट घट में रहता है, 
आस्था विश्वास प्रेम का, 
हृदय में सागर बहता है। 

राज़ छुपाने वालों सुन लो, 
करतार कुछ नहीं कहता है, 
मन के दर्पण में तो झाँको, 
दर्पण झूठ नहीं कहता है।

झूठ फ़रेब धोखा करके, 
अनीति आलाप भर के,
झूठी शान ज़माने वालों, 
महाकाल से रहना डर के। 

दीन हीन निर्बल जन तो, 
अत्याचार सब सहता है, 
मन के दर्पण में तो झाँको, 
दर्पण झूठ नहीं कहता है।

निर्मल हृदय वास हरि का, 
ठाठ आठो पहर रहता है, 
नर सेवा नारायण सेवा, 
वेद पुराण शास्त्र कहता है।

जनहित क़दम बढ़ाकर देखो, 
यश कीर्ति चहुँओर रहता है, 
मन के दर्पण में तो झाँको, 
दर्पण झूठ नहीं कहता है।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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