अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
तक़ती : 122 122 122 122
हँसाए जवानी रुलाए जवानी।
अजी रंग कितने दिखाए जवानी।।
मिले मुश्किलें ज़िंदगी में हमेशा,
कि हर मोड़ पर आजमाए जवानी।
नहीं इश्क़ में नींद आशिक़ को आए,
उसे रात भर फिर जगाए जवानी।
कमाते जो दौलत हैं परदेश जाकर,
वो घरद्वार उनका छुड़ाए जवानी।
खड़े देश सीमा पे सैनिक हमारे,
सदा देश को वो बचाए जवानी।
बुढ़ापे में मानव यही सोंचता है,
ख़ुदा लौटकर फिर से आए जवानी।
अभिनव मिश्र "अदम्य" - शाहजहाँपुर (उत्तर प्रदेश)