सहम गईं फ़ज़ाएँ - कविता - सरिता श्रीवास्तव "श्री"

यह कविता एक हादसे पर आधारित है जो कि जिला धौलपुर (राजस्थान) मनिया थाना के गाँव अधन्नपुर के निवासी पिता-पुत्र के साथ 20 अप्रैल 2021 को घटित हुई। ट्रैक्टर पर पिता-पुत्र सवार थे। ट्रैक्टर और कंटेनर की भिड़न्त हुई। इस हादसे में पिता-पुत्र की मौत हो गई। दोनों के शब गाँव आए। सारा माहौल ग़मगीन हो गया। मौत के कुछ ही दिन बाद 13 मई 2021 को मृतक की दोनों बेटियों की शादी थी। 

सबकी आँखें भीग गई हैं, सहमी हैं सभी फ़ज़ाएँ, 
आँखों में आँसू ठहरे हैं, हम कैसे धीर बँधाएँ।

घर शादी का मेला है, मेहमानों का यहाँ रेला, 
आवा-जाही लगी हुई है, तैयारी पूर्ण झमेला।
भाई-पिता ने तय कर डाला, वस्तु खरीद के लाएँ।।

बैठ किसी के वाहन पर वे, बाज़ार के लिए निकले,
सामने से आया एक ट्रक, गिरे ज़मीन पर कुचले।
खुशियाँ बदल गई मातम में, घरवाले रुदन मचाएँ।।

दोनों बेटियाँ लाशें देखकर, सुध-बुध ही भूल गई,
हे ईश्वर तूने क्या कर डाला, हम ही क्यों न मर गई।
अब क्या होगा हम सबका, कैसे ख़ुद को समझाएँ।।

रोते-बिलखते जन मानस, परिजन को धीर बँधाते,
अश्रूपूरित आँखों से सब, अर्थी दोनों की सजाते,
दोनों अर्थी उठने लगी हैं, थमने लगी हैं हवाएँ।

दिल रोते हैं द्रवित मन से, दोनों बहनों को मनाते,
दिन आया है शादी का, स्वागत बारात का करते,
बुझे मन "श्री" रस्में होती, पीछे बोझिल हैं फ़ज़ाएँ।
सहम गई फ़ज़ाएँ गाँव में, सिहर गई सभी फ़ज़ाएँ।

सरिता श्रीवास्तव "श्री" - धौलपुर (राजस्थान)

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