महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)
प्रेम की मशाल - कविता - महेन्द्र सिंह राज
गुरुवार, अप्रैल 29, 2021
प्रणय निवेदन करते करते, परिणय तक ले आया तुमको।
पर परिणय के पहले मैंने, कभी न हाथ लगाया तुमको।।
यही हमारी संस्कृति प्यारी, यही हमारी पुरा सभ्यता।
वचन दिया तो उसे निभाया, परिणय कर अपनाया तुमको।।
पास भी आया बातें भी की, हाल चाल भी पूछा तेरा।
पर संयम ख़ुद पर रखा, कभी न चोट पहुँचाया तुमको।।
दुनिया कहती है कहने दे, सच्चा था तेरा मेरा मन।
तूने ज़िद ना किया कभी, ना ग़म में कभी डुबाया मुझको।।
शैशव काल से युवा होने तक, एक दूजे को दिल से चाहे।
पर हमने कभी ज़िद ना की, ना ही कभी सताया तुमको।।
दोनों कुल की मर्यादा का नित, हम दोनों ने ध्यान रखा।
ना तूने कभी भुलाया मुझको, ना मैंने कभी भुलाया तुमको।।
वही प्रेम, प्रेम सच्चा है, जिसमें वासना की दुर्गन्ध न हो।
प्रेम में मेरे कपट न था, ना ज़िद कर कभी रुलाया तुमको।।
सुनों ध्यान धर मेरी बातें, दुनिया के सब प्रेम पथिक।
मेरा प्रेम निर्मल पवित्र था, कभी नहीं भटकाया उनको।।
प्रेम कंचन है काँच नहीं, जो तपकर होता है स्वर्ण भस्म।
तुम भी शुचि हृदय पवित्रा थी, कभी नहीं बहकाया मुझको।।
हम मिशाल बने जग में, हो परिणय जीवन सुखी हमारा।
ना तूने कभी गिराया मुझको, ना मैंने कभी गिराया तुमको।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर