आज आवत बाड़य राजा हमरे-2 बार
चँहकत होईंय।
छतवा पे चढि-चढि ताकत होईंय।
मुंडेर पे कागा आज बड़ा नीक लागत होई।
समयिया रूकल बा जइसे उनके बूझात होई।
दरपण में रहि-रहि निहारत होईंय।
आवत बाड़य राजा...
देवरा ननद होन्हय लेत होईंय चुटकी।
आज हमरे भऊजी के कंगन खनकी।।
लाज शरम से मुख छुपावत होईंय।
आवत बाड़य राजा...
जे जे सहले बा विरह के अगिनिया।
धन्य भईल बा 'समित' ओकर जिनिगिया।।
आज जुड़ाय जाई जिअरा छछनत होईंय।
आवत बाड़य राजा...
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)