दे दे मुझको तेरा हाथ - कविता - अंकुर सिंह

ना मुझे धन दौलत,
ना मुझे स्वर्ग चाहिए।
साथ रहो बस तुम मेरे,
ऐसा प्यार भरा पल चाहिए।।

नयनों में बसे हो बस
एक दूजे के सपने अपने हो।
अगर मिले मुझे कुछ तुमसे,
तो वो तुम मेरे अपने हो।।

गिनकर साँसे लाया हूँ,
छोड़ उन्हे यही जाऊँगा।
अगर तुम लौट आई तो,
आख़िर तक साथ निभाऊँगा।।

खुशियों भरा हर पल दूँगा,
झोली तेरा प्यार से भर दूँगा।
बदले में सिवा तुमसे दो पल,
और प्यार तुम्हारा तुमसे लूँगा।।

कहने को ना कुछ मेरे पास,
मुझे तो बस चाहिए तेरा साथ।
मम्मी पापा अगर राज़ी तेरे,
तो दे दे मुझको तेरा हाथ।।

अंकुर सिंह - चंदवक, जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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