अजय गुप्ता "अजेय" - जलेसर (उत्तर प्रदेश)
अनुभूति - गीत - अजय गुप्ता "अजेय"
शनिवार, अप्रैल 10, 2021
तेरी शोख अदाओं से पूछा,
किस मंज़िल की राही।
कौन शहर में रहता बतला,
तेरे सपनों का हमराही।
तेरी गहरी काली नज़रों में
छिपा हुआ है राज़ सुहाना।
कमल पंखुरी सुरख लवों से,
लगता है हमराज पुराना।
तेरी काली जुल्फ़ों से पूछा
क्या है तेरा अफ़साना।
कौन है तेरा नूरे नज़र,
किसकी हो तुम रुकसाना।
नख की वाली बोल उठी,
बोल उठी उर माला।
मेरे मन मंदिर में रहता
मेरा पागल दीवाना।
फिर भी कुछ नाम तो होगा,
जो तेरा चाहने बाला।
मेरे मन मंदिर में रहता,
बूझों तुम भी मेरा मतवाला।
सचमुच बहुत चंचला चितवन,
ज़हीन हाथ न आएगी।
प्रियतम के संग सजनी,
एकदिन मॉल में पकड़ी जाएगी।
देख रही क्या एकटक नीलोफ़र,
मधुर मुस्कान लिये।
नूरानी चेहरे की मल्लिका,
अनुपम तेरा रूप खिले।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर