डॉ. भीमराव अम्बेदकर - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

बदला मानक दलित का, साररस्वत व्यक्तित्व।
बाबा साहब बुद्धि बल, भीमराव अस्तित्व।।

मिली वतन स्वाधीनता, बना नहीं गणतन्त्र।
संविधान निर्माण कर, दिया नीति का मंत्र।।

भीमराव पुरुषार्थ का, कर्मवीर जीवन्त।
यायावर संघर्ष पथ, महावीर वह सन्त।।

हर चाहत जीवन कठिन, पूर्ण हुई अभिलास।
जहाँ चाह बन राह नित, सर्वोत्तम पद खास।।

धन वैभव सुख कीर्ति सब, भीमराव को प्राप्त।
किया दान परमार्थ में, दीन दलित बन आप्त।।

शिक्षाविद उत्तम जगत, सर्वाधिक तालीम।
त्याग न्याय प्रतिमूर्ति बन, नैयायिक यश भीम।।

जाति पाति दुर्भाव से, अवसीदित उपहास।
जाग्रत नित निज ध्येय पथ, रखा मनसि विश्वास।।

शोषित समाज लखि वेदना, प्रेरक दलित समाज।
समता का अधिकार दे, आज़ादी आगाज़।।

न्याय विभव अभिव्यक्ति का, दिया मूल अधिकार।
भीमराव अम्बेदकर, दिया दलित उपहार।।

मानव मानव  एक है, शोणित गात्र समान।
शिक्षा पद सत्ता सुलभ, जगा भाव सम्मान।।

सकल पूर्ण उत्थान हो, शोषित दलित समाज।
आरक्षण दस वर्ष तलक, प्रगति हेतु दी साज।।

ऊँच नीच दुर्भावना, मिटे सकल अभिशाप।
शिक्षा मानक पात्रता, हो रोजगारी माप।।

समरस सद्भावन वतन, संघशक्ति हो एक।
सबहित सबसुख भाव जब, प्रगति शान्ति अभिषेक।।

भक्ति प्रेम प्रति भारती, लोकतंत्र प्रतिमान।
संविधान निर्माण कर, दिया देश अवदान।।

कर निकुंज सादर नमन, भारत रत्न महान।
निर्माता गणतंत्र जो, भीमराव सम्मान।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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